सोनू सूद की ‘Fateh’: जब जबरदस्त Action बन जाता है थकावट का कारण
नई दिल्ली:
सोनू सूद की पहली डायरेक्टोरियल फिल्म "Fateh" एक जोरदार एक्शन थ्रिलर है, जो सस्पेंस और साइबर क्राइम के इर्द-गिर्द घूमती है। 127 मिनट की यह फिल्म एक्शन और हिंसा से भरपूर है, लेकिन कमजोर कहानी और पात्रों की कमी इसे औसत बनाती है।
कहानी का सार
फिल्म की कहानी सोनू सूद द्वारा निभाए गए किरदार फतेह पर केंद्रित है, जो एक पूर्व जासूस (Ex-Spy) है। साइबर क्राइम के खिलाफ अपनी जंग में, वह पंजाब के छोटे से गांव मोगा से दिल्ली तक का सफर तय करता है। इस मिशन में उसका सामना खतरनाक दुश्मनों से होता है, जिसमें नसीरुद्दीन शाह एक साइबर क्राइम मास्टरमाइंड के रूप में, विजय राज उनके खतरनाक सहयोगी के रूप में, और दिब्येंदु भट्टाचार्य एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी के रूप में नजर आते हैं।
साथ ही, जैकलीन फर्नांडिस (Shruti) एक Ethical Hacker की भूमिका में हैं, जो फतेह की मदद करती हैं। शिव ज्योति राजपूत गांव की लड़की के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन उनकी कहानी को जल्दी-जल्दी निपटाया गया है।
फिल्म की खासियत
- सोनू सूद का प्रदर्शन: एक्शन हीरो के रूप में सोनू सूद ने दमदार अभिनय किया है। उनकी स्क्रीन प्रजेंस और परफॉर्मेंस प्रभावित करती है।
- Action Sequences: फिल्म के एक्शन सीन्स भव्य और स्टाइलिश हैं, जो दर्शकों को शुरू में बांधे रखते हैं।
- Star Power: नसीरुद्दीन शाह और विजय राज जैसे अनुभवी कलाकारों की उपस्थिति फिल्म में एक अलग वजन जोड़ती है।
कमजोरियां
- अत्यधिक हिंसा: फिल्म में अनावश्यक और अत्यधिक हिंसा दिखाई गई है, जो जल्दी ही उबाऊ और निराशाजनक लगने लगती है।
- कमजोर कहानी: एक्शन के अलावा कहानी में गहराई की कमी है और यह कई जगहों पर बहुत ज्यादा खिंची हुई लगती है।
- पात्रों का विकास: सहायक किरदार, खासकर जैकलीन और शिव ज्योति, को पर्याप्त स्क्रीन टाइम और गहराई नहीं दी गई है।
- अनियमित गति: इमोशनल सीन और सबप्लॉट्स को जल्दबाजी में दिखाया गया है, जिससे दर्शक जुड़ नहीं पाते।
निष्कर्ष
"Fateh" की शुरुआत दमदार है, लेकिन धीरे-धीरे यह हिंसा और कमजोर कहानी के चलते दर्शकों को थका देती है। फिल्म स्टाइलिश है, लेकिन कंटेंट की कमी इसे एक औसत एक्शन थ्रिलर बना देती है।
रेटिंग: ★★☆☆☆ (2/5)
यह फिल्म केवल सोनू सूद के फैंस या हार्डकोर एक्शन के दीवानों के लिए है।
